मस्क ने डेलावेयर अदालत में एक काउंटरसूट में यह दावा भी किया कि जब उन्होंने ट्विटर को खरीदने की लिए डील पर साइन किए थे तो उन्हें कई चीजों के बारे में अंधेरे में रखा गया था। उन्हें भारत में चल रहे डेवलपमेंट के बारे में नहीं बताया गया था। कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक मस्क ने कहा कि ट्विटर को भारत में स्थानीय कानून का पालन करना चाहिए। वहीं, ट्विटर ने कोर्ट को बताया है कि मस्क के पास कंपनी के बारे में पूरी जानकारी थी।
भारत में आईटी एक्ट
साल 2021 में भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया पोस्ट की जांच करने, सूचना की पहचान करने और उन कंपनियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने के लिए कुछ नियम लागू किए थे। लेकिन ट्विटर ने मानने से इनकार कर दिया था। वैसे तो मस्क फ्री स्पीच के सपोर्टर माने जाते हैं लेकिन उनका मानना है कि ट्विटर को स्थानीय कानूनों का पालन करना चाहिए। मस्क ने कर्नाटक हाई कोर्ट में दायर एक याचिका का जिक्र करते हुए कहा है कि ट्विटर ने उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं दी थी।
मस्क के दावों पर ट्विटर ने कहा है कि उसने आईटी एक्ट की धारा 69 ए के तहत भारत सरकार की ओर से जारी किए गए कुछ आदेशों को चुनौती दी है। इसमें ट्विटर को अपने प्लेटफॉर्म से कुछ सामग्री को हटाने का निर्देश दिया गया है। इनमें नेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों का कंटेंट शामिल है। मस्क के वकील ने कहा है कि ट्विटर को कहानी के उस पक्ष को दफनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जिसे वह सार्वजनिक नहीं करना चाहता। वहीं ट्विटर का तर्क है कि मस्क जानबूझकर सौदे को टालने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि बाजार की स्थिति खराब होने से ट्विटर का अधिग्रहण अब उनके फायदे में नहीं रह गया है।
मस्क ने तोड़ी थी डील
मस्क ने 44 अरब डॉलर में ट्विटर को खरीदने के लिए एक डील की थी। लेकिन बाद में उन्होंने इसे तोड़ दिया। ट्विटर ने उनके खिलाफ अमेरिका के डेलावेयर कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। मस्क ने फर्जी खातों की सही जानकारी नहीं देने का आरोप लगाते हुए समझौते को रद्द करने की घोषणा की थी। वहीं, दूसरी ओर ट्विटर ने कहा था कि वह इस सौदे को बरकरार रखने के लिए मस्क पर मुकदमा करेगी।