भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCISM) के आयुर्वेद बोर्ड अध्यक्ष डॉ. बी श्रीनिवास प्रसाद और उनकी टीम को पेटेंट प्रदान किया गया है।भारत सरकार द्वारा उन्नत स्वचालित प्रणाली या उपकरण के विकास के लिए यह पेटेंट प्रदान किया गया है। आयुष विभाग के मुताबिक आयुर्वेद में पंचकर्म प्रमुख उपचार पद्धति है। पंचकर्म को रोकथाम, प्रबंधन, इलाज के साथ-साथ कायाकल्प के उद्देश्य से पहचाना जाता है।
पंचकर्म की हैं 5 प्रक्रियाएं
पंचकर्म की वमन, विरेचन (चिकित्सीय शुद्धिकरण), बस्ती (चिकित्सीय एनीमा), नस्य (नाक मार्ग के माध्यम से चिकित्सा और रक्तमोक्षण (रक्त रोग चिकित्सा) पांच प्रक्रियाएं हैं। वमन यानी एक चिकित्सीय प्रक्रिया जो उल्टी के जरिए अशुद्धियों या दोषों को बाहर निकालती है। रोगी और पंचकर्म विशेषज्ञ सलाहकार दोनों के लिए प्रक्रिया कठिन है। इसके अलावा उल्टी को हाइजीनिक तरीके से हैंडल करना एक बड़ी चुनौती है।
जानिए क्या काम करता है उपकरण
अब वर्तमान पेटेंट उपकरण ‘उन्नत स्वचालित उपकरण या चिकित्सीय प्रणाली’ को कठिन वमन प्रक्रिया को आराम से संचालित करने के लिए विकसित किया गया है। यह तकनीक प्रक्रिया के दौरान रोगियों के महत्वपूर्ण डाटा की निगरानी के लिए मॉनिटर से लैस है। उल्टी को स्वच्छ तरीके से और जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नीति के अनुसार संभालने का प्रावधान है। यह आपातकालीन किट भी प्रदान करता है, जो प्रक्रिया की जटिलताओं का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक है। प्रक्रिया का आकलन करने के लिए आवश्यक क्लिनिकल पैरामीटर भी स्वचालित हैं। कुल मिलाकर यह तकनीक वमन प्रक्रिया को आराम से संचालित करने का संपूर्ण समाधान है। इस उत्पाद को केएलई आयुरवर्ल्ड के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आयुर्टेक इनक्यूबेशन सेंटर और कर्नाटक के बेलगावी में केएलई इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा विकसित किया गया है।