Forex Market, रुपए में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट
Forex Market में आज रुपया 28 पैसे की तेज़ गिरावट के साथ इतिहास में अपने सबसे निचले स्तर 68.89 के स्तर पर खुला है। इस समय 68.96 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। यही नहीं कारोबार के दौरान एक समय तो रुपया 68.99 यानी लगभग 69 रुपये के स्तर के भी करीब पहुंच गया था। Crude की कीमतों में बढ़ोत्तरी से Current account deficit (चालू खाता घाटा) और महँगाई बढ़ने की आशंकाओं का असर रुपए पर दिख रहा है। 2013 के बाद गुरूवार को रुपए में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
इसके पहले 28 अगस्त, 2013 को रुपए ने प्रति डॉलर 68.80 का Lifetime Low टच किया था। हो सकता है आज के कारोबारी सत्र में रुपए की क्लोजिंग 69 प्रति डॉलर के पार हो। बुधवार को रुपया अपने 19 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया था। कारोबार के दौरान रुपया 37 पैसे कमजोर होकर प्रति डॉलर 68.61 के स्तर पर बंद हुआ था।
रुपया 7% से ज्यादा कमजोर
पिछले साल डॉलर की तुलना में रुपए ने 5.96% की मज़बूती दर्ज की थी, जो अब 2018 की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है। इस साल अभी तक रुपया लगभग 7% से ज्यादा टूट चुका है।
CAD (करंट अकाउंट डेफिसिट) बढ़ने की आशंका से प्रेशर में रुपया
Crude की ऊंची कीमतों से भारत के Current account deficit (चालू खाता घाटा) और महँगाई बढ़ने की आशंका से Investers में घबराहट फैल गई। कुछ दिनों की सुस्ती के बाद Crude की कीमतें चढ़ने के भी संकेत मिले। अमेरिका द्वारा अपने सहयोगी देशों से नवंबर की डेडलाइन तक ईरान से Crude का इंपोर्ट रोकने की बात कहने से अब आगे Crude की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है।
Brent Crude 78 डॉलर प्रति बैरल के करीब
ओपेक (OPEC) देशों द्वारा रोज़ाना 10 लाख बैरल Crude सप्लाई बढ़ाने के फैसले के बाद भी Crude की कीमतों में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ा है लगातार तेजी जारी है। बुधवार को कारोबार के दौरान Crude 78 डॉलर प्रति बैरल का स्तर पार कर गया। वहीं, अभी भी Crude 77.50 डॉलर के स्तर पर बना हुआ है। दूसरी ओर इंटरनेशनल मार्केट में Crude की डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से Crude में तेजी जारी है।
रुपए की गिरावट से महँगाई बढ़ने का डर
रुपए की गिरावट से महँगाई बढ़ने का डर हो जाता है। इससे एक्सपोर्ट महंगा होता है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं। रुपए में कमज़ोरी से देश के सरकारी घाटे पर दबाव बढ़ने का डर रहता है जिसके चलते सरकार को खर्च कंट्रोल करना पड़ सकता है, इसका सीधा असर देश की विकास दर पर हो सकता है। भारत के इंपोर्ट का बहुत बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम उत्पादों के इंपोर्ट में जाता है और ये डॉलर में भुगतान किया जाता है। ऐसे में रुपए में गिरावट की वजह से Crude का इंपोर्ट बिल बढ़ेगा। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इज़ाफा हो सकता है। अगर पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हुए तो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ साबुन, शैंपू, पेंट इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, जिससे ये प्रोडेक्ट भी महंगे हो सकते हैं। हालांकि इससे आईटी और फार्मा कंपनियों को फायदा हो सकता है। उनके रेवेन्यू का बड़ा पार्ट डॉलर से आता है।
बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोत्तरी
RBI के दखल से और महँगाई बढ़ने, Fiscal deficit की चिंताओं से बॉन्ड यील्ड्स में तेजी देखने को मिली।10 साल की बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड 7.83 फीसदी से बढ़कर 7.87 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। करंसी ट्रेडर्स भी अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ने के बाद ग्लोबल ट्रेड के भविष्य को लेकर चिंतित दिखाई दिए। घरेलू Share Bazaar में भी खासी बिकवाली देखने को मिल रही है।
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